उत्तराखंड में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना

उत्तराखंड में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना

Spiritual Economic Zones

Spiritual Economic Zones

देहरादून: Spiritual Economic Zones: उत्तराखंड को विश्व स्तर पर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार कई नई पहलों पर काम कर रही है। राज्य सरकार ने हर ब्लॉक के एक गांव को आध्यात्मिक गांव के रूप में विकसित करने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के साथ ही, गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों में स्पिरिचुअल इकोनॉमिक जोन की स्थापना करने का निर्णय लिया है।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास की रूपरेखा

मुख्यमंत्री धामी ने सीएम आवास में हुई उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि दोनों मंडलों में स्पिरिचुअल इकोनॉमिक जोन की स्थापना के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाए। इस योजना का उद्देश्य धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के साथ तीर्थस्थलों और उनके आसपास के क्षेत्रों का समग्र विकास करना है।

रोजगार और स्वरोजगार के अवसर

इस परियोजना से स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्राप्त होगी। योजना के तहत योग, ध्यान, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, स्थानीय हस्तशिल्प, पर्वतीय उत्पाद और सांस्कृतिक आयोजनों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

पर्यटन और शीतकालीन स्थलों का संवर्धन

सीएम ने अधिकारियों से कहा कि इसी वित्तीय वर्ष में इस योजना को धरातल पर उतारा जाए। साथ ही शीतकालीन स्थलों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जाए, यात्रा, आवास, परिवहन और सुरक्षा व्यवस्थाओं को सुदृढ़ किया जाए, ताकि अधिक से अधिक पर्यटक राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विविधता का अनुभव कर सकें।

प्रचार-प्रसार और पहचान

राज्य की पर्यटन संभावनाओं को देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए पारंपरिक और आधुनिक माध्यमों का उपयोग किया जाएगा। इस पहल से उत्तराखंड की पहचान आध्यात्मिक राजधानी के रूप में और भी मजबूत होगी और राज्य का पर्यटन परिदृश्य समृद्ध होगा।

सतत विकास की दिशा

मुख्यमंत्री धामी ने जोर देकर कहा कि सरकार का लक्ष्य केवल पर्यटन को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि जनसामान्य के जीवन स्तर में सुधार लाना और राज्य की प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक धरोहरों को सुरक्षित रखते हुए सतत विकास सुनिश्चित करना है। योजनाओं को समयबद्ध तरीके से लागू करने और प्रत्येक चरण की मॉनिटरिंग करने के लिए ठोस कार्यनीति तैयार की जाएगी।